मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

पुस्तक समीक्षा --द्वारा डॉ उमेश चमोला



पुस्तक परिचय
मजमा
 आपदा जागरूकता बालसाहित्य ३
लेखक डॉ नन्द किशोर हटवाल
मजमा शब्द को सुनते ही मन में दृश्य उमड़ता है कि कुछ लोग जादू या जानवरों का खेल दिखा रहे हैं.वहाँ दर्शकों की भीड़ उमड़ रखी है.खेल के बीच बीच में तालियों की आवाज सुनुनें को मिलती है.बचपन के दिन याद आते हैं जब कोई संपेरा बीन बजाकर साँप का खेल दिखाता था, बंदर या रीछ वाला उनका नाच दिखाता था.मजमा को आधार बनाते हुए डॉ नन्दकिशोर हटवाल ने एक कहानी के माध्यम से साँपों से जुडी भ्रांतियों,विषेले और विषहीन साँपों की पहचान ,सर्पदंश से बचाव के तरीके आदि पर जानकारी देने का प्रयास किया है अपनी पुस्तक मजमा में.बारह पृष्ठों तक फ़ैली कहानी में यह बताया गया है कि सर्पदंश से अधिकांश मौतें साँपों के जहर से नहीं होती हैं बल्कि सर्पदंश के सदमें से होती हैं.
  कहानी में चार साँपों ने एक चौराहे पर मजमा लगाया हुआ होता है.इन साँपों में दो विषैले और दो विषहीन साँप हैं.विषैला साँप नाग लोगों की भीड़ में से एक व्यक्ति को आगे बुलाकर विषहीन साँप से कटवाने का अभिनय कराता है.वह यह दिखाता है कि हर साँप जहरीला नहीं होता.मजमा के माध्यम से ही साँप बातों-बातों में मनुष्यों को जहरीले और विषहीन साँपों को पहचानने के तरीके,जहरीले साँप के काटने पर इलाज,antidottविषैले साँपों के काटने के बाद पीड़ित व्यक्ति में उत्पन्न लक्षण,साँप के काटने के बाद पीड़ित को अस्पताल ले जाने से पहले के उपायों के बारे में जानकारी देते है.अंत में साँप आम आदमी से अपनी जान बचाने की अपील करता है.पुस्तक आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र देहरादून द्वारा आपदा जागरूकता साहित्य श्रृंखला के अंतर्गत प्रकाशित लेखक द्वारा लिखित बीस पुस्तकों में से एक है.
  सामान्यत आपदा से सम्बंधित हमारा ज्ञान भूकंप,भूस्खलन,बाढ़,आग आदि तक ही सीमित रहता है.सर्पदंश जैसे उपेक्षित विषय को आपदा के अंतर्गत सम्मलित करते हुए कहानी को बुनना महत्वपूर्ण है.
 सर्पदंश से हुई मौतों के समाचार यदा कदा हमें सुनने-पढने को मिलते रहते हैं.ऐसे स्थानों जहाँ अस्पताल दूर है पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल ले जाने से पहले उपचार का ज्ञान उसकी जान बचा सकता है.इस दृष्टि से सर्पदंश पर आधारित कहानी का महत्व स्पष्ट होता है.कहानी में सर्पदंश से सम्बंधित तथ्यों को इस तरीके से परोसा गया है कि वे कहानी की रोचकता एवं प्रवाह में बाधा नहीं डालते.कहानी में प्रयुक्त संवाद छोटे छोटे और सरल भाषा में लिखे गए हैं.यह सभी पाठकों के लिए ग्राह्य हैं.बारह पेजों तक फ़ैली कहानी पाठक को प्रारम्भ से अंत तक बांधे रखने में सक्षम है.पुस्तक का कवर पेज अंदर के पृष्ठों सहित चित्रांकन लेखक द्वारा स्वयं किया गया है जो पुस्तक में वर्णित कहानी की विषयवस्तु के अनुरूप है.सर्पदंश जैसी भयभीत करने वाली आपदा के बारे में मजमा जैसी आनंददायक गतिविधि को आधार बनाकर कहानी को बुनना एक अभिनव प्रयोग कहा जा सकता है.
समीक्षक ----डॉ उमेश चमोला

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