रविवार, 8 अक्तूबर 2017




पुस्तक समीक्षा 
                पर्यावरणीय शिक्षा पाठ्य सहगामी  
                     क्रियाकलाप
समीक्षक – हेमा उनियाल  , लेखक – डॉ० उमेश चमोला
जब हम उस परम शक्ति के करीब होते हैं तो उस धरा,प्रकृति के भी उतने ही अन्तरंग हो जाते हैं | प्रकृति अध्यात्म का भाव जगाती है | सुंदर सुघड़ प्रकृति के ही सन्निकट ईश्वरीय भाव का संचार होता है | जब हम सुन्दर प्रकृति की बात करते हैं तो प्रकृति से जुडा पर्यावरण भी अहम विषय हो जाता है | पर्यावरणीय जागरूकता आज के सन्दर्भों में इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि हम सुंदर प्रकृति के कायल हैं,प्रशंसक हैं लेकिन उस वातावरण को शुद्ध और स्निग्ध बनाए रखने के लिए उतने कटिबद्ध नहीं हैं | चाहे अनचाहे हम पर्यावरणीय असंतुलन को बढ़ावा देते हैं |
 डॉ० उमेश चमोला की पुस्तक ‘पर्यावरणीय शिक्षा पाठ्य सहगामी क्रियाकलाप’ आज के सन्दर्भ में एक महत्वपूर्ण पुस्तक है | यह पुस्तक पर्यावरणीय शिक्षा से सम्बंधित विभिन्न विषयों जैसे वृक्षारोपण,पॉलिथीन उन्मूलन, आग, मध्य निषेध,धूम्रपान निषेध,वर्षा जल संग्रहण,देववन,प्रदूषण,जल संरक्षण आदि के प्रति जानकारी देकर जागरूक करती है | डॉ० चमोला द्वारा लिखित यह एक शिक्षण साहित्य है जिसमें पर्यावरण नाटिका,जागरूकता रैली एवं पर्यावरण से सम्बंधित गीत एवं कवितायेँ हैं | इस पुस्तक के माध्यम से विद्यालयों में पाठ्य सहगामी क्रियाकलापों  को आयोजित किया जाने लगा है |
 यह पुस्तक पर्यावरणीय चेतना से परिपुष्ट नाटक, गीत, कविताओं आदि के द्वारा शिक्षित करने का प्रयास तो है ही साथ ही लेखक के संवेदनशील आंतर-वाह्य प्रवृत्तियों को दर्शाने का माध्यम भी है |
  पुस्तक में पर्यावरणीय जागरूकता रैली के लिए ३६ सिंहनाद (नारे) बच्चों के लिए बच्चों की ही भाषा में दिए गए हैं | कुछ सिंहनाद दृष्टव्य हैं –
   ‘धरती माँ का संवरे वेश,
   इको क्लब का यह सन्देश |

   आओ हम सब गाये गीत,
   वृक्षारोपण कार्य पुनीत |
 
  गाँव –गाँव, गली –गली,
  जागरूकता लहर चली चली |
जागरूकता रैली से सम्बंधित प्रयाण गीतों को भी पुस्तक में स्थान दिया गया है | पर्यावरणीय शिक्षा में समाज(समुदाय) की सहभागिता को बढाने के लिए स्थानीय बोली भाषा को महत्व देते हुए लोकगीत जैसे झुमैलो के माध्यम से स्वस्थ पर्यावरण निर्माण का सन्देश दिया गया है|
  कुल मिलाकर पुस्तक की विषयवस्तु बच्चों के मानसिक स्तर के अनुरूप है | पुस्तक के भाषा सरल है और प्रस्तुतीकरण रोचक है | पुस्तक पर्यावरण से सम्बंधित पाठ्य सहगामी क्रियाकलोपों के आयोजन की दृष्टि से सफल होगी | साथ ही बच्चों की शैक्षिक उपलब्धि को भी बढ़ाएगी | ऐसा विश्वास है |
पुस्तक – पर्यावरणीय शिक्षा पाठ्य सहगामी क्रियाकलाप
लेखक – डॉ० उमेश चमोला
प्रकाशन – शिक्षा विभाग मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार
         के आभार से उत्तराखण्ड सेवा निधि अल्मोड़ा ,उत्तराखण्ड
मूल्य – निशुल्क