शनिवार, 16 मई 2020

कुछ बातें, कुछ यादें 15
 भांति - भांति के बिछुड़े दोस्त
  आज  जबकि लाॅक डाउन में दूरदर्शन  द्वारा बीते जमाने के सीरियल दिखाए जा रहे हैं। लोग अपने बीस साल पुरानी फोटो फेसबुक पर दिखा रहे हैं,  ऐसे समय में मुझे भी अपने विद्यार्थी जीवन के दोस्तों की बहुत याद आ रही है । इन दोस्तों के गुणों के आधार पर मैं इन्हें इस प्रकार वर्गीकृत करने का प्रयास कर रहा हूंॅ-
1- रुपए उधार ले जाने वाले दोस्त -
  मुझे  कुछ उन दोस्तों की बहुत याद आ रही है जिनका काम रुपया उधार लेना था । जैसे उनसे मुलाकात होती , वे कहते, ‘‘ यार! तुम्हारे जेब में कुछ रुपए पड़े हैं ? अर्जेन्ट काम के लिए चाहिए थे।  बस मैं तुझे कल लौटा दूंगा ।‘‘ रुपया ले जाने के बाद इनका कल कभी नहीं आता था । इस श्रेणी के कुछ दोस्तों की रुपया उधार मांगने की शैली अलग थी । वे कहते,‘‘ यार! मैं 20 तारीख से पहले तेरे सारे पैंसे लौटा दूंगा । 20 तारीख से एक या दो दिन पहले से वे अपना चेहरा दिखाना बन्द कर देते थे। एक महीने के बाद वे अचानक प्रकट हो जाते। वे इस ढंग से बात करते जैसे वे उधार ले ही नहीं गए हों। बातों -बातों में वे टटोलते कि इसे अपने दिए रुपयों की याद है या नहीं । अगर उन्हें पक्का यकीन हो जाता कि यह पुराना उधार भूल गया है तो वह 10-15 दिन के बाद फिर  से उधार मांगते। उन्हें याद दिला दी जाती कि उन्होंने तो अभी पुराना उधार भी चुकता नहीं किया है तो वे कहते,‘‘ अरे! तेरे रुपए कहीं नहीं जाते दो तीन दिन में दे दूंगा । उनके दो तीन दिन कितने लंबे होते । इसका अनुमान लगाना बड़ा कठिन था ।
2- पार्टी करवाने  वाले दोस्त -
 कुछ दोस्त ऐसे भी याद आ रहे हैं जो हमेशा ताक पर रहते थे कब पार्टी करवाकर किसी दोस्त की जेब ढीली करवाई जाए । एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा, ‘‘यार! मुझे पार्टी दे दे । मैंने कहा, ‘‘ इस समय मेरे पास रुपए नहीं हैं।‘‘  वह बोला, ‘‘ यार ! तेरा ये दोस्त कब काम आएगा ? मैं तुझे उधार देता हूंॅ। उधार के इन रुपयों से तू मेरी पार्टी करवा दे। मेरा उधार दो -तीन दिन में चुकता कर देना ।‘‘
   एक बार मुझे वाद विवाद प्रतियोगिता में 1000 रु की धनराशि प्राप्त हुई । जैसे ही मेरे मित्रों को इस बात की भनक लगी, उन्होंने इन रुपयों को खर्च करने की योजना बना ली । एक दोस्त बोला,‘‘ यार! चल घूमने चलते हैं। मैं उसकी बातों में आ गया । उसके साथ मेरे तीन चार दोस्त भी शामिल हो गए । वे जानबूझ कर होटल की ओर घूमने जाने लगे । जैसे ही हम होटल के सामने पहुंॅचे  एक दोस्त बोला, ‘‘ आज की पार्टी तो चमोला की तरफ से होगी । 1000 रु इनाम में जो मिले हैं। मैंने कहा, ‘‘ मैं चाहता था कि डिबेट के समय तुम लोग भी वहांॅ रहकर मेरा उत्साह बढ़ाते किन्तु तुम में से कोई भी दोस्त  वहांॅ नहीं था । वहांॅ आने के बजाए तुम लोगों ने क्रिकेट मैच देखना अधिक जरूरी समझा । मैं ऐसे दोस्तों को पार्टी कराना उचित नहीं समझता । ऐसे ही दोस्तों से तंग आकर एक मित्र ने नया तरीका खोज लिया ।
जब कोई दोस्त उससे पार्टी करवाने को कहते तो वह मना नहीं करता । वह उनके साथ  होटल चला जाता । जब होटल में चाय समोसा आदि का आर्डर दिया जाता तो वह चुपचाप खिसक जाता । पार्टी का बिल उन्हीं में से किसी एक को चुकता करना पड़ता ।
3- किताब मांगकर न लौटाने   वाले दोस्त -
कुछ दोस्त वह भी याद आ रहे हैं जो एक भी पुस्तक नहीं खरीदते थे लेकिन उनका घर किताबों से भरा रहता । वे अलग-अलग दोस्तों से अलग -अलग किताब मांग कर ले जाते थे। जिससे वे किताब मांगते उससे कहते,‘‘मैं एक -दो दिन में तुम्हारी किताब लौटा लूंगा । किताब मांग कर ले जाने वाले ये दोस्त किताबें कभी नहीं लौटाते । इनको पुस्तक देने वाले को नई पुस्तक खरीदनी ही पड़ती ।
4- पै्रक्टिकल की कापी  मांगकर ले जाने     वाले दोस्त -
 कुछ दोस्त ऐसे भी थे जिनका कक्षाओं में आना जाना कम रहता था । वे परीक्षा से कुछ दिन पहले  प्रैक्टीकल की काॅपी मांग कर ले जाते । इनसे मांगी गई काॅपी को प्राप्त करना टेड़ी खीर था । जब इनसे काॅपी मांगते तो ये कहते शाम को मेरे कमरे में आ जाना । मैं तुझे काॅपी लौटा दूंगा । शाम को बताए गए समय पर इनके कमरे में जाओ तो वहांॅ ताला लटका मिलता ।

5-  नोट्स मांगकर ले जाने     वाले दोस्त -

कुछ दोस्त ऐसे थे  साल भर सड़कों पर घूमते हुए दिखाई देते थे। परीक्षा से कुछ समय पहले ये नोट्स मांगने के लिए बार -बार कमरे का चक्कर काटते। एक बार इनको नोट्स दे दो तो नोट्स के वापस न आने की गारंटी होती ।
 
6-  अपने कमरे  में  खाना  न  खाने  वाले दोस्त -
 कुछ दोस्त इतने सर्वप्रिय होते थे कि वे बारी-बारी से अलग- अलग दोस्तों के यहांॅ खाना खाते थे। इनका  फ्रैण्ड सर्किल इतना बड़ा होता  था कि महीनो तक उनका ऐसे ही काम चल जाता था ।
7-  गप मारकर जाने   वाले दोस्त -
 कुछ मित्र अन्य मित्रों के यहांॅ तब पहुंॅचते जब वे पढ़ाई कर रहे होते। उस समय वे गप्पें लड़ाते थे। ऐसे दोस्तों के कई बार परीक्षा में अच्छे अंक आते। जब लोगों का सोने का समय होता तो वे  तब पढ़ाई करते । ऐसे दोस्त छात्रावास में अधिक संख्या में पाए जाते थे।
8-  जुगाड़  से फिल्म देखने    वाले दोस्त -
  कुछ दोस्त  दृढ़ संकल्प के धनी होते कि चाहे कुछ हो जाए वे पिक्चर हाॅल में फिल्म अपने पैसों से नहीं देखेंगे। इनका फिल्म देखने के लिए जुगाड़ भिड़ाने का अनूठा तरीका था । या तो वे किसी सीदे सादे दोस्त से कहते,‘‘ यार! मुझे फिल्म दिखा दे। ‘‘ यदि वह तैयार नहीं हुआ तो वे सीधे पिक्चर हाॅल पहुंॅच जाते, वहांॅ टिकट की लाइन में देखते कि कोई दोस्त टिकट खरीदने के लिए खड़ा तो नहीं है। यदि कोई दोस्त दिखाई देता तो वे उससे कहते,‘‘यार! एक टिकट मेरे लिए भी खरीद लेना । तेरे पैसें बाद में दे दूंगा । ‘‘ वे टिकट के पैसें कभी नहीं देते ।

9-  शराब पीने की आदत डलवाने     वाले दोस्त-
कई दोस्त ऐसे होते जो किसी विशेष मौके, पार्टी आदि के समय उन दोस्तों को भी बुलाते जो शराब नहीं पीते । वे शराब पीने वाले किसी दोस्त से कहते,‘‘ देख लेना आज फलां ( शराब न पीने वाले) को जबरदस्ती शराब पिला कर रहूंगा ।‘‘ ऐसे दोस्त जब उसे शराब पिलाने में सफल होते तो अपने कार्य की स्वयं प्रशंसा करते हुए कहते, ‘‘ वो तो शराब पर हाथ थी नहीं लगाता था मैंने उसे शराब पिलाना सिखाया । जब वह शराब पीने के लिए मना करता तो वे दोस्ती की कसम खिला देते ।

10- किसी दोस्त के पास कोई अच्छी देखकर उससे मांगने    वाले दोस्त-
  कुछ दोस्त  ऐसे  भी थे जो किसी दोस्त के पास कोई चीज देखते तो तुरंत कहते, ‘‘यह चीज कहांॅ से लाए ? इसे मुझे दे दो।
ये दोस्त विशेष प्रकार के दोस्त हैं ।  इनके अलावा अन्य  दोस्तों का जिक्र यहांॅ आने से रह गया हो तो वे क्षमा करेंगे । वे दोस्त दिल के अंदर आज भी हैं।
 इन  सभी दोस्तों को कोटि -कोटि नमन।