मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

आपदा जागरूकता बाल साहित्य पुस्तक समीक्षा



पुस्तक परिचय
कब किसे जरूरत पड़ जाय
आपदा जागरूकता बालसाहित्य—२
   आपदाओं का क्षेत्र व्यापक है.मानवजनित और प्राकृतिक आपदाएँ हमारे जीवन को अनेक प्रकार से प्रभावित करती है.आज वाहन हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं.इसलिए हमारी या राह में वाहन चलाते अन्य लोगों की  थोड़ी सी लापरवाही दुर्घटना को जन्म देती है.इस प्रकार वाहन से होने वाली दुर्घटनाएँ हमारे जीवन की प्रमुख आपदाओं में शामिल हो चुकी है.हम अपने सामने durghदुर्घटना का शिकार हुए किसी व्यक्ति को देखें तो उसकी त्वरित सहायता तभी कर सकते हैं,जब हमें  दुर्घटना से बचाव के तरीके और प्राथमिक चिकित्सा के बारे में जानकारी हो.आपदा के रूप में दुर्घटना और प्राथमिक चिकित्सा को बालसाहित्य की विषयवस्तु के रूप में नाटक के जरिए प्रस्तुत किया है डॉ नंदकिशोर हटवाल ने अपनी पुस्तक कब किसे जरूरत पड़ जाय में.यह पुस्तक आपदा जागरूकता साहित्य श्रृंखला के अंतर्गत डॉ हटवाल द्वारा लिखित २० पुस्तकों में से एक है.
     यह नाटक दो दृश्यों में सिमटा है जो लगभग बीस-पच्चीस मिनटों में मंचित हो सकता है.नाटक में योगेश,विपिन और कुणाल किशोर बच्चे हैं.प्रभुदयाल एक दुकानदार है.वीरसिंह और अनुसूया उसके साथी हैं.इसके अलावा डाक्टर उसके सहयोगी तथा कुणाल के माता –पिता नाटक के पात्र के रूप में गढ़े गए हैं.प्रभुदयाल ऐसा पात्र है जो पेशे से डाक्टर नहीं है और पढ़ा-लिखा भी कम है किन्तु अपने जीवन के अनुभवों से वह प्राथमिक चिकित्सा के बारे में जानकारी रखता है.वह इस जानकारी का अपने जीवन में प्रयोग करना भी जानता है.
  प्रभुदयाल के माध्यम से नाटककार यह सन्देश देना चाहता है कि प्राथमिक चिकित्सा पेशेवर लोगों की विशेषज्ञता का ही क्षेत्र नहीं है अपितु आम जन को भी इसके बारे में जानकारी रखनी चाहिए.समय रहते प्राथमिक चिकित्सा देने पर दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है.
 बारह पृष्ठीय पुस्तक पठनीय है.भाषा सरल है.चित्रांकन लेखक ने स्वयं किया है जो नाटक की विषयवस्तु के अनुरूप है.पुस्तक का शीर्षक नाटक में समाहित थीम को व्यक्त करता है.प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी सबको होनी चाहिए क्योंकि इसकी कब किसे जरूरत पड़ जाय कोई पहले नहीं जान सकता.पुस्तक आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र द्वारा निशुल्क वितरण के लिए प्रकाशित की गई है.
समीक्षक –डॉ उमेश चमोला

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