मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

आपदा जागरूकता बाल साहित्य पुस्तक समीक्षा द्वारा डॉ उमेश चमोला



पुस्तक परिचय
अग्नि देवता
आपदा जागरूकता बालसाहित्य ५
लेखक---डॉ नंदकिशोर हटवाल,
पुस्तक परिचय दाता /समीक्षक –डॉ उमेश चमोला;
बच्चों से बातचीत करना,उन्हें प्रश्न पूछने हेतु प्रेरित करना और उनकी जिज्ञासा को शान्त करने का प्रयास करना सीखने –सिखाने की प्रक्रिया का सरल,स्वाभाविक और प्रभावी माध्यम है.बच्चों में अपने आस-पास होने वाली घटनाओं के सूक्ष्म अवलोकन की जन्मजात प्रतिभा होती है.वे अपने आस-पास का अवलोकन करते हैं.अवलोकन से उनके मन में जो जिज्ञासा पैदा होती है,उसके samadhanसमाधान के लिए वे आपस में बातचीत करते हैं,तर्क करते हैं.वे इस प्रक्रिया में अपने अभिभावकों को भी सम्मिलित करते हैं.
  माघ की ठण्डी रात में जलते हुए चूल्हे के अवलोकन और उस पर बच्चों और अभिभावकों की बातचीत को आधार बनाते हुए डॉ नंदकिशोर हटवाल ने अग्नि देवता नाम से कहानी लिखी है.डॉ हटवाल की इस कहानी पर आधारित यह  पुस्तक आपदा जागरूकता बालसाहित्य श्रृंखला की बीस पुस्तकों में से एक है.
डॉ हटवाल की इन बीस पुस्तकों का तमिल,मलयालम आदि भाषाओँ में भी अनुवाद हो चुका है.
  अग्नि देवता पुस्तक की कहानी में पिंकी,दादाजी,मुन्नू और अग्नि देवता के माध्यम से कहानीकार ने आग के हमारे जीवन में महत्व और लापरवाही बरतने से होने वाले आग के खतरों से बाल पाठकों को आगाह किया है.कहानी में बच्चों की आपस में बातचीत ,अभिभावकों द्वारा बीच –बीच में उन्हें दिया गया मार्गदर्शन और सपने में अग्नि देवता द्वारा पिंकी को आग के सम्बन्ध में मनुष्य द्वारा की जाने वाली लापरवाही को दिख्नाने और आग से जुडी जिज्ञासा को शान्त करने के द्वारा आग विषयक जानकारी को बच्चों तक पहुँचाने का प्रयास किया गया है.सपने वाली कहानी के कथानक को शीर्ष तक पहुँचाने और अंत देने के जाने पहचाने तरीके का कहानीकार ने प्रयोग किया है.
  कहानी में बाल पाठकों को अपने बीच के पात्रों को पढने का अवसर मिलेगा.उन्हें कहानी के पात्रों द्वारा की गई शरारतें अपनी जैसी शरारतें ही लगेंगी.पुस्तक का चित्रांकन [कवर पेज सहित ] कहानीकार ने स्वयं किया है,कवर पेज कहानी के केन्द्रीय भाव को व्यक्त करने में सफल है.कहानी में सरल शब्दों का प्रयोग किया गया है.लघु आकार वाले बारह पेजों तक फ़ैली कहानी पाठकों को प्रारम्भ से अंत तक बांधे रखने में सफल है.पुस्तक आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र देहरादून द्वारा निशुल्क प्रकाशित की गई है.

2 टिप्‍पणियां: