मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

बैकुंठ चतुर्दशी मेले में आयोजित कवि सम्मलेन पर एक समीक्षात्मक रिपोर्ट आभार --साहित्य विचार



     बैकुण्ठ चतुर्दशी मेले की संध्या में आयोजित कवि सम्मेलन काफी मायनो में विशिष्ट रहा.इस सम्मेलन में उत्तराखण्ड के अलग अलग जिलों के कवियों को आमंत्रित किया गया था .कुमाऊ का भी प्रतिनिधित्व रहा.वर्तमान समय में सुदूर अंचलों तक गढ़वाली कवि सम्मेलनों का लगातार आयोजन किया जा रहा है.यह लोकभाषा गढ़वाली के उन्नयन के लिए अच्छी बात है.इससे नए रचनाकारों को कविता सृजन का अवसर मिल रहा है किन्तु आज गढ़वाली में समीक्षा का क्षेत्र उपेक्षित है.इसलिए जहाँ गढ़वाली कविताओं के सृजनकारों की संख्या बड़ी है वहीं कविता के साहित्यिक स्तर में गिरावट आयी है.कविता में शिल्प की शिथिलता के साथ मात्र तुकबंदी को महत्व दिया जा रहा है.मंचीय दृष्टि से हो सकता है ये कविताये तालियाँ बटोरने में भी सफल होंगी किन्तु  ये कवितायेँ तुकात्मक सपाट बयान ही कही जायेंगी.इस कवि सम्मलेन में साहित्यिक रचनाओ के साथ मंचीय दृष्टि से सफल कविताओ के बीच संतुलन देखने को मिला.
   कवि सम्मेलन में गिरीश सुन्द्रियाल ने रसराज श्रिंगार पर आधारित गीत प्रस्तुत किये .इन गीतों का साहित्यिक सौन्दर्य और प्रस्तुति प्रशंसनीय रही.स्वप्न में नायिका द्वारा नींदमें व्यवधान करने के लिए कवि द्वारा लाखडा पिरोलना अर्थात चूल्हे से लकड़ियों को खिसकाना का प्रयोग करना गढ़वाली साहित्य में नया प्रयोग कहा जाना चाहिए.
डॉ उमेश चमोला द्वारा उत्तराखण्ड आन्दोलन में निष्क्रिय और सत्ता की मलाई खाने वाले लोगो को अपने गीत आज आज भोल भोल यन करी दिन कटीन के माध्यम से आड़े हाथों लिया गया,बीज बुत्यां फूलो का सुरे का डाला यख जमीन जैसी पंक्ति कवि को हिन्दी साहित्य की श्रेष्ठ कविताओ के समक्ष खड़ा करती हैं,बिन्सरी का बाद पडिली फेर काली रात यख जैसी विरोधाभास  आधारित  कविताये गढ़वाली साहित्य में दुर्लभ हैं ,मुसों की कछडी कविता कवि की श्रेष्ठ व्यंग्य कविता कही जा सकती है.
  बीना बेंजवाल की स्योलू लप्पा में लोक की महक महसूस हुई.इस कविता में वर्तमान कृत्रिम जीवन शैली को भी उजागर किया गया,हेमू भट्ट की कविता में पलायन के दर्द को उकेरा गया ,ड़ेवेलोपमेंट २०२० कविता ने श्रोताओ को हंसने और सोचने पर मजबूर किया यद्यपि इस कविता में शिल्प की शिथिलता कहीं कही देखने को मिली किन्तु मंचीय दृष्टि से इस कविता को शत प्रतिशत सफल कविता की श्रेणी में रखा जाना चाहिए.कविता की प्रस्तुति बहुत सुंदर थी.
 नरेंद्र रयाल की कविता शराबियो के मिजाज को व्यक्त करती हुई दिखी.इस कविता ने श्रोताओ को हंसने और गुदगुदाने पर विवश कर दिया.मदन डुकलान की कविता पलायन के नए पक्ष को व्यक्त करने और शिल्प की दृष्टि से सफल कविता कही जा सकती है.
    वरिष्ठ कवि ललित केशवान ने हास्य कविताओं से श्रोताओ को बांधे रखा.जीवन की छोटी छोटी बातों में हास्य को खोजना कोई केशवान  जी से सीखे.नवीन बिष्ट की कुमाउनी कविता पहाडी जीवन के विविध पक्षों को गीतात्मक रूप से अभिव्यक्त करने में सफल रही. वरिष्ठ कवि लोकेश नवानी ने पहाडी जीवन और महानगरों के जीवन के अंतर को अपनी कविता के माध्यम से बखूबी व्यक्त किया.
  गीतकार गायक और कवि ओम बधानी ने गीत शैली में राजनीति में आयी गिरावट को कविता के माध्यम से व्यक्त किया.यह श्रेष्ठ गीतात्मक अभिव्यक्ति कही जा सकती है.
सुबोध हटवाल ने सरल शब्दों में गढ़वाल में व्याप्त कठिनाइयों पर प्रकाश डाला.इस कविता को भी साहित्यिक के बजाय मंचीय दृष्टि से अधिक सफल कविता कहा जा सकता है,
देवेन्द्र उनियाल इस कवि सम्मेलन को संचालित करने में पूर्ण सफल रहे.उन्होंने अपनी हास्य व्यंग्य आधारित कविताओं के साथ साथ बीच बीच में प्रसंगानुकूल अन्य कविताओं को भी जोरदार ढंग से  प्रस्तुत किया.
c---साहित्य विचार

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