मंगलवार, 30 जून 2020

कुछ बातें, कुछ यादें 24 ‘फूल‘ (बाल कविता संग्रह) लेखन से जुड़ी यादें


      वर्ष 2010-11 की बात है। मैंने 27 बाल कविताएंॅ लिखी थीं जो बच्चों के आस-पास के अवलोकन पर आधारित थी । अब बारी थी इन कविताओं के संकलन को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की ।  मेरे मन में विचार आया कि क्यों न प्रकाशित करने से पहले बच्चों से इन पर प्रतिक्रियायें प्राप्त कर ली जाए । इसके लिए मैंने देहरादून से राजकीय प्राथमिक विद्यालय अजबपुर कलां  और जिला नैनीताल के दूरस्थ विकासखण्ड ओखलकांडा में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय खनस्यूं का चयन किया । कविताओं को टाइप करने के बाद  इनका प्रिन्ट आउट लेकर मैं सबसे पहले राजकीय प्राथमिक विद्यालय अजबपुर कलां के बच्चों से मिला । इसके बाद मैं कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय खनस्यूं  के  बच्चों से मिला । मैंने बच्चों से कहा कि वे इन कविताओं को पढ़ें। इनको पढ़कर उनके मन में इन कविताओं के बारे में जो बातें आती हैं, उनको निसंकोच लिखें । बच्चों ने इन कविताओं को पढ़ा । इनके बारे में अपने विचार लिखे ।
 
 बाल साहित्य बच्चों के लिए लिखा जाता है। यह सामान्यतः बड़ी उम्र के लोगों द्वारा लिखा जाता है। इन्हीं लोगों के द्वारा बच्चों के लिए लिखे साहित्य की समीक्षा भी की जाती है। बच्चों के लिए लिखा गया साहित्य बच्चों तक कितना पहुंॅच पाया है ? इस बारे में हम प्रायः उदासीन ही रहते हैं । बच्चों के लिए लिखे गए साहित्य की समीक्षा प्रकाशन से पूर्व बच्चों से अवश्य कराई जानी चाहिए ।  इससे बच्चों की पसंद और रुचि का पता चलता है। कवि को भी साहित्य सृजन के लिए नई दिशा मिलती है।
      बच्चों को ये कविताएं पढ़ने को दी गई तो बच्चों ने इन पर विविध प्रतिक्रियाएंॅ दी । एक कविता ‘विद्यालय‘ पर लिखी गई थी । इसमें फूलों का वर्णन आया था । एक बच्चे ने लिखा था,‘‘ स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी फूल के समान होते हैं। एक कविता में वर्णन आया था कि एक बालिका पिंजरे में बंद तोते को आजाद करती है। इसमें पंक्तियां आई थीं- ‘बतलाऊंगी मैं सबको आजादी का मोल, मिट्ठू तोते के पिंजरे के दरवाजे को खोल।‘   इस कविता के बारे में एक बालिका ने लिखा था,‘‘लड़की की जिन्दगी भी पिंजरे में बंद पक्षी की तरह होती है। वह पक्षी के साथ पूरी दुनियां को स्वतंत्र कराना चाहती है।‘‘ एक बालिका ने ‘सपना‘ कविता के बारे में लिखा,‘‘सपना कविता से सीखने को मिलता है एक गरीब बच्चा भी पढ़-लिख कर समाज में अपना नाम रोशन कर सकता है।‘‘ कुछ बच्चों ने लिखा कि वे भी कवि बनना चाहते हैं।

    इस प्रयोग का सुखद पहलू यह रहा कि कुछ कविताएंॅ बच्चों को याद हो गई । बच्चों की रुचि भी कविता लेखन की ओर हो गई । इन कविताओं को पढ़ने के बाद बच्चे भी विभिन्न विषयों पर कविताएंॅ लिखने लग गए । लगभग एक माह के बाद राजकीय प्राथमिक विद्यालय अजबपुर कलां की प्रधानाध्यापक श्रीमती आभा गौड़ ने मुझे बच्चों द्वारा तैयार हस्तलिखित कविताओं का संग्रह दिखाया ।  उन्होंने बताया कि अब बच्चों ने भी कविताएंॅ लिखना शुरू कर दिया है। इसी का परिणाम यह हस्तलिखित कविता संग्रह है।
    ‘फूल‘ बाल कविता संग्रह डाॅ.पीतांबर दत्त बड़थ्वाल  हिन्दी साहित्य अकादमी उत्तराखण्ड  की उत्कृष्ट पुस्तक प्रकाशन योजना के अंतर्गत वर्ष 2014 में अखिल ग्राफिक्स बिजनौर से प्रकाशित हुआ। 

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