शनिवार, 20 मई 2017

पुस्तक समीक्षा


तेरे जाने के बाद (कविता संग्रह )
कवि –दिनेश सिंह रावत
समीक्षक –डॉ उमेश चमोला
‘तेरे जाने के बाद’ दिनेश सिंह रावत की पचपन कविताओं का संग्रह है.इस कृति से पूर्व रावत की ‘माटी’काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुका है.समीक्ष्य संग्रह में पहाड़ और गाँव की नैसर्गिक सुन्दरता,जन्मोत्सव,मशीनों के सहारे चलती जिन्दगी,गाँव में जानवरों का खौफ,करवा चौथ,नारी,लोकदेवता,संवेदना,लोकशिल्पियों की उपेक्षा,एकान्तिक अनुभूति ,शिक्षा के नाम पर व्यापार आदि विषयों पर आधारित कविताओं को स्थान दिया गया है.
 ‘टावर’ कविता में कवि वर्तमान समय की विडंबना को व्यक्त करता है की किस प्रकार लोग अपनी मांगें मनवाने के लिए टावर पर चढ़ते हैं .’परिवर्तन’ और ‘जादू की छड़ी’कविताओं में व्यंग्य की हल्की सरसराहट महसूस की जा सकती है.परिवर्तन कविता में कवि का दृष्टिकोण व्यक्त होता है कि टमाटर,आलू और अण्डों के महंगे होने के कारण अब जनता स्याही और जूते  फेंककर जन प्रतिनिधियों के प्रति अपना आक्रोश प्रकट करती है.
‘गाँव’ कविता में कवि पलायन से  वीरान हुए गाँव की तस्वीर कुछ यों खीचता है –
‘आज अगर कुछ बचा है तो
बस जर्जर बुढ़ापा,
हांफती सांसे,बंजर खेत-खलियान,
सूने घर आँगन,गली,चौबारे व् पनघट
तथा अटाली-तिवारी में किसी के आने की आस में
पथरीली हो चुकी आँखें.’
संग्रहीत कविताओं के बारे में साहित्यकार महावीर रवांल्टा लिखते हैं –‘पहाड़ के गाँव,वहाँ के समाज व संस्कृति को उनकी कवितायेँ उदघाटित करती हैं.दाम्पत्य जीवन,प्रेम,संघर्ष व नारी को लेकर रची गयी उनकी कविताएँ अपने समय की सादगी भरा खाका प्रस्तुत करने में समर्थ हैं.”
दिनेश सिंह रावत की यह कवितायेँ पहाड़ के नैसर्गिक सौन्दर्य के साथ-साथ जीवन के यथार्थ को भी बयां करती है.कविताओं की भाषा सरल है.यह कवि के उद्गारों को व्यक्त करने में सफल है.दिनेश रावत की कविताओं को  शिल्प और काव्य मानकों की दृष्टि से अभी परिपक्वता प्राप्त  करने की आवश्यकता है.आशा है कवि का सृजन कर्म निरन्तर चलता रहेगा और वे भविष्य में वे अपनी अर्थ गाम्भीर्य कविताओं के साथ फिर प्रस्तुत होंगें.
पुस्तक का मुद्रण स्पष्ट है. मुखपृष्ठ आकर्षक है,प्रयुक्त कागज उत्तम गुणवत्ता का है.
पुस्तक का मूल्य –२०० रु
प्रकाशक –अर्पित पब्लिकेशन्स,अक्षरधाम,गुरु तेग बहादुर कालोनी कैथल ,हरियाणा ,
कवि संपर्क –9927272086,9456527453

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