फूल(बाल कविता संग्रह)
समीक्षक –हरि मोहन ‘मोहन’
कवि –डॉ उमेश चमोला
प्रकाशक : अखिल ग्राफिक्स;3/11 हाईडील कोलोनी बिजनौर ,उत्तर प्रदेश
डॉ उमेश चमोला के बाल कविता
संग्रह “फूल” में २७ कवितायेँ हैं.इनमे से अधिकांश चार से आठ लाइन की छोटी
कवितायेँ हैं.कवितायेँ दैनिक परिवेश से जुड़े पशु-पक्षी;फल-फूल,प्रकृति,दैनिक उपयोग
की वस्तुओ पर हैं जिनसे बच्चे अच्छी तरह परिचित हैं.कम शब्दों और कम पंक्तियों की
कवितायेँ बच्चों को अधिक पसंद आयेंगी और
उन्हें याद भी रहेंगी.
भाव व भाषा शिल्प की दृष्टि
से भी कवितायेँ बच्चों के मानसिक स्तर की व सहज तादात्म्य बनाने वाली है.प्रत्येक
कविता के साथ उससे सम्बंधित चित्र बच्चों को आकर्षित करने वाले
हैं.झरना,दीपक,फूल,चिड़िया,कोयल,हवा,मेंढक,स्कूल,गुब्बारे,आम,मोबाईल,घड़ी,प्यारी
बहना आदि छोटी कवितायेँ हैं जिन्हें शिशु गीत भी कहा जा सकता है.
संग्रह की पहली कविता ‘अ’ से बच्चों को वर्णमाला का ज्ञान कराने वाली
है.
अ से अमरूद,आ से आम,ये दोनों हैं फल के नाम,
दीपक कविता सन्देश देती है –
दीपक जैसा हम बन जाएँ,अन्धकार को दूर भगाएँ.
हाथी दादा कविता में पर्यावरण की चिंता दिखाई देती है-
हाथी दादा क्यों बिगड़े,सड़क के पेड़ क्यों उखड़े?
काट दिए जब से जंगल,शहर में करता हूँ दंगल
चार पंक्तियों की घड़ी कविता भी सन्देश देने वाली है –
टिक टिक टिक बोले घड़ी,समय की कीमत बहुत बड़ी,
समय की कीमत जो जाना,समय ने उसको है माना,
पहेलियाँ कविता में विभिन्न पक्षियों से सम्बंधित पहेलियाँ बुझी गयी
हैं जिनसे बच्चों के ज्ञान में वृद्धि ही होगी.पतंग,चंदा मामा,बच्चे प्यारे,आजादी
का मोल,सपना कवितायेँ अपेक्षाकृत बड़ी हैं और बड़ी उम्र के बच्चों को ही पसंद आएंगी.
बाल कविता संग्रह की एक
विशेषता यह है कि डॉ चमोला ने पुस्तक प्रकाशन से पूर्व कुछ विद्यालयों में बच्चों
को ये कविताएँ पढ़वाकर उनसे इन पर राय मांगी.बच्चों ने अपनी समझ के अनुसार उन पर
अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की.विभिन्न विद्यालयों के १९ बच्चों की ये प्रतिक्रियाएं
संग्रह में कविताओं से पूर्व दी गयी हैं.इस प्रयोग से बच्चों की रूचि और कविताओं
के प्रति रुझान का पता भी चलता है.यह एक अभिनव प्रयोग है जिससे बच्चों की रूचि का
पता तो चलता ही है और मिलता है बाल रचनाकारों के लिए मार्गदर्शन.
नवल(अप्रैल –जून २०१५) से साभार
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