मूल्य शिक्षा से
साक्षात्कार
मैं वर्ष १९९८
से २००४ तक राजकीय इंटर कालेज लमगोंडी रुद्रप्रयाग में कार्यरत रहा | वर्ष २००० की बात है | एक दिन मुझे प्रधानाचार्य द्वारा अवगत कराया गया कि जिला विद्यालय
निरीक्षक रुद्रप्रयाग से प्राप्त पत्र के क्रम में मुझे कम्प्यूटर प्रशिक्षण के
लिए डायट रुड़की जाना है | मैं राजकीय इंटर कालेज लमगोंडी से डायट रुड़की जाने के
लिए कार्यमुक्त हुआ | मेरा प्रशिक्षण का यह पहला अनुभव था | डायट रूड़की के प्रवेश
द्वार से अन्दर जाने पर मैंने देखा कि एक व्यक्ति हाथ में कुदाल लेकर वहाँ की घास
फूस को हटा रहा है | उस समय शाम के सात बज रहे थे | मैंने मन में सोचा, “ यह व्यक्ति ऑफिस टाइम के बाद भी कितनी तन्मयता
से कार्य कर रहा है | शायद यह स्वच्छता कर्मी होगा |” उस व्यक्ति की कर्तव्यनिष्ठा के प्रति मेरे मन
में आदर का भाव जाग्रत हुआ | सिर श्रद्धा से झुक गया | मुझे देखकर उस व्यक्ति ने मुझसे पुछा, “ क्या आप कल से होने वाले कम्प्यूटर प्रशिक्षण के
लिए आये हैं ?” मैंने कहा, “हाँ’’| उस व्यक्ति ने अपने हाथ में रखी कुदाल को
जमीन में रखा और किसी और व्यक्ति को नाम लेकर पुकारा | वह व्यक्ति जी , जी कहता
हुआ दौड़ा – दौड़ा आया | उन्होंने उससे कहा,” गुरूजी ट्रेनिंग के लिए आये हैं | इनका बैग
होस्टल ले जाकर इनके लिए कमरे की व्यवस्था करो |” अब मुझे पता चला कि हाथ में कुदाल लेकर डायट
परिसर में काम करने वाला वह शख्स कोई और नहीं बल्कि डायट को अकादमिक नेतृत्व देने
वाले डायट के प्राचार्य श्री मोहन सिंह नेगी जी हैं |
ऐसा ही मुझे एक
चुनाव में देखने को मिला | मेरी पीठासीन अधिकारी के रूप में शायद टिहरी के राजकीय
प्राथमिक विद्यालय डागर टिहरी के बूथ में ड्यूटी लगी थी | चुनाव की गाडी से उतरने
के बाद काफी पैदल भी चलना पड़ा था | सौभाग्य से मुझे बहुत अच्छी टीम मिली थी | बूथ
में पहुँचते ही हमारी मुलाकात बूथ लेवल अधिकारी श्री राधाकृष्ण जी से हुई जो कि
वहाँ हेड के रूप में कार्यरत थे | उन्होंने सभी मतदाताओं को घर – घर जाकर पहचान
वाली पर्ची बाँट रखी थी | उनकी उपस्थिति के कारण मतदाताओं की पहिचान में कोई
कठिनाई नहीं हुई | निष्पक्ष और निर्विवाद मतदान संपन्न हुआ | बातों – बातों में
उन्होंने बताया कि वे दस दिन के बाद सेवानिवृत्त होने वाले हैं | उनकी ऊर्जा और
उत्साह को देखकर कहीं नहीं लग रहा था कि वे इतनी जल्दी सेवानिवृत्त होने वाले हैं
|
हमें
अपने आस – पास ऐसे कई लोग मिल जाते हैं जिनके कार्यों से हमें प्रेरणा मिलती है |
इन लोगों के कार्यों से जुड़े प्रेरक प्रसंग इतिहास की पुस्तकों में दर्ज महापुरुषों के प्रसंगों से कम नहीं
आँके जा सकते हैं |
इनके कार्यों को ह्रदय में अनुभूत करना मूल्य शिक्षा पर दिए जाने वाले भाषण को
सुनने से कहीं अधिक प्रभावी हो सकता है |
cc-
डॉ० उमेश चमोला
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