बछिया और चीनी
की चोरी
बचपन की बात है
| हमारी एक गाय थी | उसे हम प्यार से मधु कहते थे | उस गाय की एक बछिया थी | उसका
नाम हमने यशोदा रखा था | यशोदा जब बड़ी हुई तो उसे भी मधु और दो बैलों के साथ जंगल
चुगाने ले जाते थे | जब ये जंगल में चरते तो हम इनसे कुछ दूर जंगल में ऊँचे स्थान पर बैठ जाया करते
थे जहाँ से इन पर नजर रखी जा सके | यशोदा
कुछ देर अन्य गायों और बैलों के साथ रहकर वहाँ आ जाती | वहाँ आकर वह मेरे बालों को
चाटती थी | जब मैं अपना सिर यशोदा से हटाता तो वह मुझे मारने को दौडती |
एक दिन घर में मैं अकेला ही था | मेरा चीनी खाने
का मन करने लगा | मैंने डिब्बे से चीनी निकाल कर खा दी | मुझे पक्का विश्वास था कि
मेरी चीनी की चोरी पकड़ी जाने वाली नहीं है | शाम के समय जब सभी लोग घर आये | माँजी
ने कहा, “उमेश ! तूने आज चीनी खाई ?’’
मैं चक्कर में
पड़ गया | मैं सोचने लगा, “ माँजी को मेरी चीनी चोरी का कैसे पता चला ?’’
दीदी ने पूछा ,
चीनी उमेश ने ही खाई तू यह कैसे कह सकती हो ?
माँजी ने कहा, “उमेश जब भी कोई चीज खाता है तो पहले उसका कुछ
हिस्सा यशोदा को जरूर देता है | मैंने यशोदा के मुंह पर चीनी चिपकी हुई देखी | मैं समझ गई कि यह काम उमेश ने ही किया होगा |
मै डर रहा था कि
चीनी चोरी की डांट पड़ने वाली है किन्तु मैंने मांजी की आँखों में आँसू देखे | मैं
समझ गया कि मेरे यशोदा के प्रति प्रेम को देखकर माँजी का ह्रदय भर उठा है |
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