मंगलवार, 19 फ़रवरी 2019

कुछ बातें , कुछ यादें ४


बछिया और चीनी की चोरी
बचपन की बात है | हमारी एक गाय थी | उसे हम प्यार से मधु कहते थे | उस गाय की एक बछिया थी | उसका नाम हमने यशोदा रखा था | यशोदा जब बड़ी हुई तो उसे भी मधु और दो बैलों के साथ जंगल चुगाने ले जाते थे | जब ये जंगल में चरते तो हम इनसे कुछ  दूर जंगल में ऊँचे स्थान पर बैठ जाया करते थे  जहाँ से इन पर नजर रखी जा सके | यशोदा कुछ देर अन्य गायों और बैलों के साथ रहकर वहाँ आ जाती | वहाँ आकर वह मेरे बालों को चाटती थी | जब मैं अपना सिर यशोदा से हटाता तो वह मुझे मारने को दौडती |
 एक दिन घर में मैं अकेला ही था | मेरा चीनी खाने का मन करने लगा | मैंने डिब्बे से चीनी निकाल कर खा दी | मुझे पक्का विश्वास था कि मेरी चीनी की चोरी पकड़ी जाने वाली नहीं है | शाम के समय जब सभी लोग घर आये | माँजी ने कहा, उमेश ! तूने आज चीनी खाई ?’’
मैं चक्कर में पड़ गया | मैं सोचने लगा, माँजी को मेरी चीनी चोरी का कैसे पता चला ?’’
दीदी ने पूछा , चीनी उमेश ने ही खाई तू यह कैसे कह सकती हो ?
माँजी ने कहा, उमेश जब भी कोई चीज खाता है तो पहले उसका कुछ हिस्सा यशोदा को जरूर देता है | मैंने यशोदा के मुंह पर चीनी चिपकी हुई देखी |  मैं समझ गई कि यह काम उमेश ने ही किया होगा |  
मै डर रहा था कि चीनी चोरी की डांट पड़ने वाली है किन्तु मैंने मांजी की आँखों में आँसू देखे | मैं समझ गया कि  मेरे यशोदा के प्रति  प्रेम को देखकर माँजी का ह्रदय भर उठा है |





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