एबट माउंट
(लोहाघाट )में स्थित कथित भूतों का बंगला
भूतों के बंगले
के नाम से जाना जाने वाला यह बंगला उत्तराखण्ड के लोहाघाट कस्बे में स्थित है | इस
बंगले को सन १९०० के आस –पास ब्रिटिश डॉ० एबे ने बनाया था | बाद में इस बंगले को
एक अस्पताल का रूप दिया गया | यह माना जाता है कि यहाँ रात के समय भूतों की छाया
दिखाई देती है | इस अस्पताल में चिकित्सा की जिम्मेदारी ब्रिटिश डाक्टर मोरिस
को सौंपी गई थी | उस जमाने में अस्पतालों की संख्या कम थी | इसलिए इस
अस्पताल की महत्ता और भी बढ़ गई थी | डाक्टर मोरिस अपने पास पराशक्तियों के होने का
दावा करता था | वह अस्पताल में आये मरीजों की नब्ज देखकर उनकी मौत की तिथि बता देता था | यह
तिथि सच साबित होती थी | इसलिए मरीजों के
बीच वह भगवान माना जाने लगा | लोगों को डॉ मोरिस द्वारा की गई
भविष्यवाणियों पर आश्चर्य होता था | बाद में लोगों को पता चला कि डॉ मोरिस असाध्य
रोगियों को अस्पताल की अन्य कोठरी में शिफ्ट कर देता था | इसे मुक्ति कोठरी का नाम
दिया गया था | वहाँ वह मरीजों को अपनी दवाइयों और चिकित्सा के प्रयोगों द्वारा
जीवन और मौत के बीच की अवस्था में पहुंचा
देता था | इस अवस्था में मरीज की नब्ज बंद हो जाती थी किन्तु वह अपने
अनुभवों को बता पाते थे | इस प्रकार इन मरीजों पर डॉ मोरिस अपनी रिसर्च और प्रयोग
करता था | इन रिसर्च और प्रयोगों के
द्वारा वह मृत्यु के रहस्यों को समझने का प्रयास करता था | यह माना जाता था कि
मुक्ति कोठरी में पंहुंचने वाला व्यक्ति आत्मिक शान्ति की अवस्था को प्राप्त कर
लेता था | शायद इसलिये यहाँ मौजूद चर्च के बाहर एक बोर्ड लगाया गया है | इसमें
आत्मिक शान्ति और भूत –प्रेत सम्बन्धी बाधाओं से मुक्ति की बात लिखी गई है |
विभिन्न टी वी चैनलों द्वारा उच्च क्षमता के सेंसरों द्वारा इस चर्च के पास
नकारात्मक ऊर्जा की उपस्थिति की बात दिखाई गई है | इस चर्च की खिडकियों से अन्दर
झाँकने पर पता चलता है कि यहाँ अन्दर कुछ बेंचें पड़ी हुई हैं | अन्दर मकडी के जाले
लगे हुए हैं | इस चर्च के समीप एक कब्रिस्तान है जिसमे लगभग १५ से २० की संख्या
में कब्र हैं और कुछ कब्रें टूटी फूटी अवस्था में हैं | वहाँ उपस्थित एक कब्र पर
वर्ष १९५९ अंकित है | शायद यह डॉ मोरिस के किसी परिवारीजन की हो सकती है | यह माना
जाता है कि यहाँ उन्हीं मरीजों की आत्माएं समय – समय पर अपनी उपस्थिति देती रहती
हैं | इस बंगले के बारे में कई टीवी चैनलों ने कार्यक्रम दिए हैं | इसी कहानी पर
जी टी वी से फियर एंड फाईल्स का एपिसोड भी
जारी हुआ है | कभी अस्पताल के रूप में प्रयोग में लाई गई यह कोठी आज बंद और वीरान
पडी है | अब तो यह प्राइवेट प्रोपर्टी के रूप में खरीदी हुई बताई जाती है |
इस अस्पताल के बारे में सुने गए किस्से –
कहानियों से मन में इस स्थान को देखने की बड़ी इच्छा थी | यह स्थान प्रकृति की सुरम्य स्थली में है
| यहाँ से बर्फों से लदी पर्वत श्रृंखलाएं
सामने दिखाई देती हैं | प्राकृतिक सुन्दरता को देखते हुए यहाँ इको टूरिज्म को
बढ़ावा देने के लिए लकड़ी के कोटेज तैयार किये जा
रहे हैं | इसके कारण भविष्य में यहाँ पर्यटन को और अधिक बढ़ावा मिल सकता है
| यह स्थान मनमोहक है और यहाँ बहुत देर रुकने का मन कर रहा था | यहाँ भय जैसी कोई
अनुभूति नहीं हुई | यहाँ के कुछ लोगों का
कहना था कि मोरिस की कहानी गडी गढ़ाई है जो कोरी गप है |
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