शनिवार, 15 अगस्त 2020

कुछ बातें, कुछ यादें 30,

 

कुछ बातें, कुछ यादें 30,

    ट्रेन का छूट जाना

   ये वर्ष 2019 की बात है। मुझे किसी कार्य के सिलसिले में नैनीताल जाना था । उन दिनो डेंगू बुखार का प्रकोप चरम पर था । मुझे भी कुछ दिनो से तेज बुखार चल रहा था । मेरी इच्छा नैनीताल जाने की नहीं थी किन्तु वहांॅ जाना जरूरी था । आॅफिस से आने के बाद मैंने अपनी डेंगू और प्लेटलेट की जांच करवाई । जांच केन्द्र काफी भीड़ थी । एक घंटे में जांच का नंबर आ गया । मैं बहुत थक गया था । दो-तीन दिनो के बाद रिपोर्ट ने आना था । जांच कराने के बाद मैं रात को नैनीताल के लिए रवाना हो गया । मेरा हरिद्वार से काठगोदाम लिंक के लिए आरक्षण था ।  मैं लगभग 11 बजे हरिद्वार पहुंॅच गया । हरिद्वार रेलवे स्टेशन के डिस्प्ले बोर्ड पर काठगोदाम लिंक के हरिद्वार पहुंॅचने का समय 2 बजे लिखा हुआ था । मैंने सोचा अभी बहुत समय है। मैं थका हुआ तो था ही। मैंने रेलवे प्रतीक्षालय के अंदर अपने साथ लाई चादर बिछाई और मैं लेट गया । मुझे गहरी नींद आ गई । लगभग सवा बजे मेरी नींद खुली । मैंने सोचा, ‘‘ वैसे तो ट्रेन के आने का समय दो बजे है किन्तु एक बार बाहर चलकर देख लेता हूंॅ।‘‘ मैं उठकर अपना बैग पकड़ कर प्रतीक्षालय से बाहर की ओर आया। मेरे सामने ही काठगोदाम लिंक चली गई । मेरे मन में रेल के दो बजे पहुंॅचने का समय इतनी गहराई से अंकित था कि ट्रेन के जाते समय मैं सोच रहा था शायद डिब्बे इधर से उधर किए जा रहे होंगे। जब ट्रेन मेरी नजरों से ओझल हो गई तो तब मुझे सच्चाई का पता चल पाया । मैंने बस या कार का पता किया जो मुझे ट्रेन के पहुंॅचने से पहले लक्सर या नजीबाबाद तक पहुंॅचा दे  किन्तु कोई व्यवस्था नहीं हो पाई। अंततः रोडवेज बस से जाने का निर्णय लिया । पता किया तो किसी ने बताया कि सुबह 6 बजे रोडवेज बस मिलेगी। थोड़ी देर में एक हल्द्वानी तक की बस आती हुई दिखाई दी। मैंने पता किया कि क्या वह बस काठगोदाम लिंक से पहले मुझे नजीबाबाद पहुंॅचा सकती है ? उसने मना किया । अब मेरे पास उस बस से जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मैंने उस बस से हल्द्वानी के लिए टिकट ले लिया। 

   जिन्दगी में उस ट्रेन की तरह हमें भी कई बार अवसर प्राप्त होते  हैं किन्तु किसी की गलत सलाह,  या  अन्य चूक के कारण हम उस अवसर को गंवा देते हैं।  गंवाया गया  वही अवसर फिर से प्राप्त नहीं हो पाता है ।

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