drishti
शनिवार, 10 मार्च 2012
जनता से जुदा हो रहा हूँ में,
कुर्सी पे बैठकर
खुदा हो रहा हूँ में,
कल तक जनता का था,
अब कुर्सी का
हो रहा हूँ mei
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