drishti
रविवार, 11 मार्च 2012
drishti: जनता से जुदा हो रहा हूँ में,कुर्सी पे बैठकरखुदा...
drishti:
जनता से जुदा हो रहा हूँ में,
कुर्सी पे बैठकर
खुदा...
: जनता से जुदा हो रहा हूँ में, कुर्सी पे बैठकर खुदा हो रहा हूँ में, कल तक जनता का था, अब कुर्सी का हो रहा हूँ mei
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