हर क्षण,हर पल,
करती हलचल,
मन सागर की लहरें,
मानव मन की व्यथा-कथा से उद्वेलित हो
या मृदु भावों से प्रेरित हो
ये लहरें बादल बनकर,बरस जाती हैं कागज तल पर---रचना डॉ उमेश चमोला '
सोमवार, 2 अप्रैल 2012
बुधवार, 14 मार्च 2012
फूल्संक्रांति पर विशेष --गीत
म्वारा-भोंरा मीठा-मीठा गीत सुनोणा;
रिंगला-पिंगला फूलों तै छन रिझोणा;
घुघुती-कफू,हिलान्स बतई गईगि,
डांडी-कांठयोन माँ बसंत आयेगी,
सजोलयों माँ गौ माँ छोरा फूल सजोणा
रंगमत व्हे खोलि -खोलयों माँ घोघा नचोणा
रूखी-सुखी डांडी-कंठी सजी गईगी